हमारे बारे में

भारत में बाल विवाह एक महत्वपूर्ण गंभीर सामाजिक मुद्दा है, जो कानूनी रूप से प्रतिबंधित होने के बावजूद प्रतिवर्ष लाखों युवा लड़कियों और लड़कों के जीवन को प्रभावित करता है। बाल विवाह होने पर बच्चों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जिनमें उनकी शिक्षा में रुकावट, समय से पहले गर्भधारण के कारण स्वास्थ्य जोखिम व व्यक्तिगत और आर्थिक विकास के सीमित अवसर शामिल हैं।

देश और प्रदेश की उन्नति के लिए हमें बाल विवाह जैसी कुप्रथा को जल्द से जल्द जड़ से समाप्त करने की आवश्यकता है। युवाओं को सशक्त बनाने, उनके स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हुए हम सही मायने में विकास कर सकते हैं। इस कुप्रथा को समाप्त करने और एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए सशक्त कानूनी ढांचे, जागरूकता अभियान और सामुदायिक जुड़ाव आवश्यक हैं, जहाँ हर बच्चा अपने सपने साकार कर सके।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006

भारत में बाल विवाह की रोकथाम हेतु बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लागू है। इस अधिनियम का उद्देश्य भारत में बाल विवाह की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटना और एक व्यापक तंत्र स्थापित करना है। 18 वर्ष से कम आयु की महिला एवं 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष के विवाह को इस अधिनियम में प्रतिबंधित किया गया है। बाल विवाह करने, कराने, प्रोत्साहित करने अथवा सहयोग देने पर दो वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान है।

निःशुल्क आपातकालीन हेल्पलाइन सेवाएं

चाइल्ड हेल्पलाइन 1098

बाल विवाह की जानकारी होने पर आप टोल फ्री नंबर 1098 पर कॉल करके इसकी सूचना दे सकते हैं। यह बच्चों की सहायता हेतु समर्पित नंबर है जो तत्काल मदद सुनिश्चित करता है।

डायल ERS 112

बाल विवाह की सूचना टोल फ्री नंबर ERS 112 पर भी दी जा सकती है। यह पुलिस सहायता सेवा बाल विवाह रोकने में मददगार साबित होगी।

महिला हेल्पलाइन 181

महिला हेल्पलाइन 181 महिलाओं की सुरक्षा हेतु समर्पित है। हिंसा या अपराध की स्थिति में इस सेवा के माध्यम से सहायता प्राप्त करें।